chemistry class 9th अध्याय -1 Note |रसायन विज्ञान
- पदार्थ की द्रव अवस्था ( The Liquid State of Matter )
- वाष्पन को प्रभावित करनेवाले कारण(Factors affecting evaporation.)
- पदार्थ की गैसीय अवस्था ( The Gaseous State of Matter )
- Gas (गैस)
- पदार्थ की अवस्थाओं का पारस्परिक परिवर्तन ( Interconvertibility of the States of Matter )
- C ( सेल्सियस ) और K ( केल्विन ) में संबंध [ Relation between ° C ( Celcius ) and K ( Kelvin ) ]
पदार्थ की द्रव अवस्था ( The Liquid State of Matter )
1.आकृति और आयतन ( Shape and volume )
➡द्रव की आकृति निश्चित नहीं होती किंतु उसका आयतन निश्चित होते हैं ।
2. घनत्व ( Density)
द्रव का घनत्व उसके ठोस – रूप के घनत्व से कम होता है ।
➡किसी पदार्थ की ठोस अवस्था की तुलना में उसके द्रव की अवस्था में अंतरा – अणुक स्थान अधिक होता है । इसीलिए द्रव का घनत्व ठोस कम होता है ।
3. संपीड्यता ( Compressibility )
द्रव प्रायः असंपीड्य ( incompressible ) होते हैं । ➡ठोस की तुलना में ये थोड़ा अधिक संपीड्य होते हैं । इसका कारण यह है कि द्रव में अंतरा – अणुक स्थान ठोस की तुलना में अधिक होता है ।
4. द्रवणांक और क्वथनांक ( Melting point and boiling point )
द्रवों के द्रवणांक और क्वथनांक ठोस पदार्थों से प्रायः कम होते हैं ।
➡द्रव पदार्थों के द्रवणांक कमरे के ताप से कम होते हैं , किंतु इनके क्वथनांक कमरे के ताप से उच्च होते हैं ।
5. तरलता ( Fluidity )
द्रव पदार्थों में बहने ( flow ) की प्रवृत्ति पाई जाती है ।
➡ठोस अवस्था की तुलना में द्रव अवस्था में अंतरा – अणुक स्थान अधिक और अंतरा – अणुक आकर्षण बल कमजोर होने के कारण द्रव कणों की गतिज ऊर्जा ठोस के कणों से उच्च होती है । फलतः द्रव में बहाव ( flow ) का गुण आ जाता है जिससे उसकी आकृति में परिवर्तन हो सकता है ।
➡द्रव में बहाव की प्रवृत्ति ( fluidity ) द्रव की प्रकृति पर निर्भर करती है ।
उदाहरण के लिए :-
यदि कमरे के फर्श पर थोड़ा जल गिरा दिया जाए तो यह फैलने लगता है और इसकी आकृति भी बदलने लगती है , किंतु जल का कुल आयतन अपरिवर्तित रहता है ।
6.विसरण (Diffusion).
द्रवो में परस्पर मिश्रित हो जाने के प्रवृत्ति पाई जाती है क्योंकि इसमें बहने का गुण होता है
Note➡ क्या आप जानते हैं कि,
वायु ऑक्सीजन , नाइट्रोजन , कार्वन डाइऑक्साइड तथा अन्य गैसों का मिश्रण होती है । ये गैसें जल में विसरण की प्रक्रिया द्वारा घुली रहती हैं । जल में विलीन ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड गैसों को क्रमश : जलीय जीव – जंतु तथा पौधे ग्रहण कर जीवित रहते हैं ।
7. द्रव का जमना ( Freezing of liquid )
किसी भी द्रव का ठोस के रूप में परिवर्तन ‘ द्रव का जमना ‘ कहलाता है । उदाहरण के लिए , यदि जल को 0 ° C ( या 273 K ) ताप तक ठंडा किया जाए तो जल बर्फ ( ठोस ) में परिवर्तित हो जाता है । हालाँकि यह परिवर्तन अस्थायी होता है ।
8. वाष्यन ( Evaporation )
आपने देखा होगा कि एक चिपटी थाली में रखे जल को खुली वायु में रख दिया जाए तो कुछ समय के पश्चात थाली का जल गायब हो जाता है । इसी प्रकार , छिछले तालाब या झील का का भी , विशेषकर गर्मी के मौसम में , धीरे – धीरे गायब हो जात अब प्रश्न उठता है कि जल गायब होकर कहाँ चला जाता है ।
वस्तुतः –जल वाध्य या गैस के रूप में परिवर्तित होकर वायुमंडल में चला जाता है । जिस प्रक्रिया द्वारा जल ( द्रव ) वाष्प में परिवर्तित होता है उसे वाष्पन कहते हैं ।
➡किसी द्रव का कमरे के ताप या द्रव के क्वथनांक के नीचे के तापों घर वाष्प बनकर धीरे – धीरे वायुमंडल में जाने की प्रक्रिया वाष्पन कहलाती है ।
वाष्पन को प्रभावित करनेवाले कारण(Factors affecting evaporation.)
द्रव का वाष्पन निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है ।
( i ) द्रव की प्रकृति –द्रव का क्वथनांक जितना ही कम रहता है उसका वाष्पन उतनी ही तेजी से होता है ।
उदाहरण के लिए , ईथर का क्वथनांक 34 ° C और जल का क्वथनांक 100 ° C है । अतः , जल की तुलना में ईथर अत्यधिक तेजी से वाष्प में परिवर्तित हो जाता है ।
( ii ) द्रव का ताप – द्रव का ताप जितना ही अधिक होगा उतनी ही तीव्रता से द्रव का वाष्पन होगा । इसका कारण यह है कि उच्च ताप पर द्रव के कणों का औसत वेग बढ़ जाता है । कार्यकलाप एक परखनली में 5 mL ईथर और दूसरी परखनली में 5 mL जल लेकर उन्हें वायु में खुला छोड़ दें । आप पाएँगे कि ईथर थोड़ी ही देर बाद वाष्पित हो जाता है , जबकि जल अभी भी मौजूद है ।
( iii ) द्रव का पृष्ठीय क्षेत्रफल –द्रव की सतह का क्षेत्रफल जितना ही अधिक रहता है , द्रव का वाष्पन उतनी ही तेजी से होता है ।
( iv ) वायु का वेग – हवादार स्थान पर जहाँ वायु का वेग अधिक रहता है , द्रव का वाष्पन तेजी से होता है । इसका कारण यह है कि द्रव के वाष्प के कणों को वायु तेजी से बहा ले जाती है ।
v ) आर्द्रता ( Humidity ) – वाष्पन के वेग पर वायुमंडल की आर्द्रता का काफी प्रभाव पड़ता है । पहले यह जान लेना आवश्यक है
आर्द्रता क्या है ?
वायु में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा आर्द्रता कहलाती है ।
➡ जब वायु में एक निश्चित आप पर उपस्थित जलवाष्प की मात्रा उस ताप पर उपस्थित जलवाष्प की मात्रा से अधिक रहती है तब वायु आर्द्र (Humid) कहलाती है|
9.क्वथन और क्वथनांक ( Boiling and boiling point )
जब किसी द्रव का वाष्प दाब वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है , तब वह द्रव उबलने लगता है ।
➡ जिस ताप पर द्रव उबलना प्रारंभ करता है उस ताप को द्रव का क्वथनांक कहते हैं और यह प्रक्रिया क्वथन या उबलना कहलाती है ।
Note:- द्रव्य का क्वथनांक वायुमंडल के दाब पर निर्भर करता है वायुमंडल का दाब अधिक रहने पर द्रव्य का क्वथनांक भी बढ़ जाता है
वाष्पन और क्वथन में अंतर वायन क्वथन
क्वथन
1. यह एक निश्चित ताप पर ही होता है , जिसे द्रव का क्वथनांक कहते हैं ।
2.यह संपूर्ण द्रव में होता है,जिसमें द्रव के भीतरी भागों से बुलबुले निकलने लगते हैं ।
3. इसमें ठंडक उत्पन्न नहीं होती है ।
वाष्पन
1. यह एक स्वतः होनेवाली प्रक्रिया है जो सभी तापों पर होता रहती है ,
2. यह द्रव के सिर्फ ऊपरी सतह पर ही होता है , द्रव के भीतरी भागों में नहीं ।
3. इसमें ठंडक उत्पन्न होती है ।
पदार्थ की गैसीय अवस्था ( The Gaseous State of Matter )
गैसों में अंतरा – अणुक बल बहुत कमजोर होता है तथा अंतरा – अणुक स्थान बहुत अधिक होता है । अतः , गैस के कण पूर्णतः स्वतंत्र होकर समस्त उपलब्ध स्थान में इधर – उधर गमन करने लगते हैं । गैसों के सामान्य गुण
1. आकृति और आयतन ( Shape and volume ) गैस की न तो कोई निश्चित आकृति होती है और न कोई निश्चित आयतन ।
➡उदाहरण– इसे जिस बरतन में रखा जाता है , उसी बर्तन की आकृति और आयतन ग्रहण कर लेती है ।
2.घनत्व ( Density ) ठोस एवं द्रवों की तुलना में गैसों के घनत्व निम्न होते हैं ।
3. द्रवणांक और क्वथनांक ( Melting point and boiling point )
सामान्य वायुमंडलीय दाब पर किसी गैस के द्रवणांक और क्वथनांक कमरे के ताप से कम होते हैं ।
➡ गैसों के द्रवणांक और क्वथनांक ठोस और द्रव की तुलना में निम्न होते हैं ।
4. संपीड्यता ( Compressibility )
गैसों की संपीड्यता बहुत अधिक होती है ।
Gas (गैस)
LPG- Liquefied petroleum gas ( द्रवीभूत पेट्रोलियम गैस)
CNG- Compressed natural gas (संपीड़ित प्राकृतिक गैस)
5. ऊष्मा और ठंड का प्रभाव ( Effect of heating and cooling )
गर्म या ठंडा करने पर गैस को क्रमशः प्रसरित या संकुचित ( expand or compressed ) किया जा सकता है ।
➡गैस को गर्म करने पर उसके कणों की ऊर्जा बढ़ जाती है । फलतः , गैस के कणों का वेग बढ़ जाता है और वे तेजी से गमन करने लगते हैं एवं एक – दूसरे से अधिक दूर हो जाते हैं । इससे गैस का प्रसार ( expansion ) हो जाता है ; अर्थात उसका आयतन बढ़ जाता है ।
6. गैसों का विसरण ( Diffusion of gases )
आप जानते हैं कि गैस के कण तीव्र वेग से गमन करते हैं और गैसीय कणों के बीच अंतरा – अणुक स्थान बहुत अधिक होता है । इसी विशेषता के कारण एक गैस के कण किसी दूसरी गैस में आसानी से प्रविष्ट हो जाते हैं , अर्थात गैसें स्वतः एक – दूसरे से सम्मिश्रित हो जाती हैं ।
➡यह प्रक्रिया गैसों के घनत्व पर निर्भर नहीं करती हैं । इस प्रक्रिया को गैसों का विसरण ( diffusion of gases ) कहते हैं ।
7.गैस का संघनन (Condensation
of gases)
पदार्थ के गैसीय रूप का द्रव्य रूप में परिवर्तन गैस का संघनन कहलाता है
➡ जिस निश्चित आप से अधिक ताप पर गैस संघनित हो ही नहीं सकता |चाहे उसका दाब कितना भी अधिक क्यों ना बढ़ दिया जाए |इस ताप को गैस का क्रांतिक ताप (critical temperature) कहते हैं
जलवाष्प का संघनन (condensation of water vapor).
जल बाद का संघनन निम्न तापवाली ठंडी सतह पर होता है
8. गैस का दाब ( Pressure of gas )
–गैस के कण विभिन्न वेगों के साथ विभिन्न दिशाओं में अनवरत गमन करते रहते हैं । इस क्रम में ये कण एक – दूसरे से तथा बरतन की दीवारों से टकराते रहते हैं । इन टक्करों के कारण ये कण बरतन की दीवारों पर एक बल आरोपित करते हैं । बरतन की दीवारों के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर गैस के कणों द्वारा आरोपित बल गैस का दाब कहलाता है । वायु का दाब वायुमंडलीय दाब ( atmospheric pressure ) कहलाता है । समुद्र – तल पर वायु का दाब 1 वायुमंडल कहलाता दाब की इकाई पास्कल ( pascal , Pa ) कहलाती है ।
1 वायुमंडल दाब 1.01 X 10^5Pa
पदार्थ की अवस्थाओं का पारस्परिक परिवर्तन ( Interconvertibility of the States of Matter )
पदार्थ की तीनों अवस्थाओं ( ठोस , द्रव एवं गैसीय ) को एक – दूसरे में परिवर्तित किया जा सकता है । गर्म द्रव गर्म गैसीय अवस्था अवस्था ठंडा अवस्था ठंडा उदाहरण के लिए , साधारण जल ( द्रव ) को 0 ° C तक ठंडा करने पर वह बर्फ ( ठोस ) में परिवर्तित हो जाता है , जबकि उसे 100 ° C तक गर्म करने पर वह उबलकर जलवाष्प ( गैस ) में परिवर्तित हो जाता है । जलवाष्प को ठंडा करने पर वह पहले जल ( द्रव ) में बदल जाता है और अंत में वह ठोस अवस्था ( बर्फ ) में परिवर्तित हो जाता है ।
द्रवण की गुप्त ऊष्मा– स्थिरता पर किसी ठोस पदार्थ के 1 किलोग्राम को उसके दर्दनाक पर द्रव अवस्था में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक उस्मा को उस ठोस पदार्थ के द्रवण गुप्त ऊष्मा करते हैं
- C ( सेल्सियस ) और K ( केल्विन ) में संबंध [ Relation between ° C ( Celcius ) and K ( Kelvin
) ]
C और K परस्पर निम्नलिखित प्रकार से संबंधित रहते हैं ।
t ° C = ( 273.15 + t ) K
उदाहरण:-
अतः , 0 ° C = ( 273.15 +0 ) =
273.15K
40 ° C = ( 273.15 + 40 ) = 313.15 K
575k = 273.15+t°C
t°C=575-273.15=301.85°C