चाणक्य की प्रेरक विचार| चाणक्य की मूल्यवान बातें?

  प्रेरक विचार 

चाणक्य की प्रेरक विचार | चाणक्य की मूल्यवान बातें?   (Valuable things of Chanakya?)

अमृत विष से भी अमृत की प्राप्ति संभव हो तो 

निस्संकोच उसका सेवन कर लेना चाहिए 

 अगोचर पुष्प में गंध , तिलों में तेल , लकड़ी में अग्नि , दूध में घी

तथा ईख में मिठास विद्यमान होती है लेकिन दिखाई नहीं देती

 Smell is present in an inconspicuous flower, oil in sesame, fire in wood, 

ghee in milk and sweetness in cane but it is not
visible.

 


अमृत विष से भी अमृत की प्राप्ति संभव हो तो 

निस्संकोच उसका सेवन कर लेना चाहिए

If it is possible to get nectar even from
nectar poison,

 then it should be consumed without hesitation.

 

अहंकार

मनुष्य को अपनी दानवीरता , तप , साहस , विज्ञान , विनम्रता 

और नीति – निपुणता पर कभी अहंकार नहीं करना चाहिए 


राहु के लिए अमृत भी मृत्यु का कारण बना

जबकि भगवान् शिव द्वारा ग्रहण किए जाने पर विष भी अमृत बन गया

For Rahu, nectar also became the cause of
death,

 while poison also became nectar when it was consumed by Lord Shiva.

॥श्रेष्ठ

आचरण एवं श्रेष्ठ गुणों के कारण साधारण मनुष्य 

श्रेष्ठता के शिखर की ओर अग्रसर होता है 

आत्मबल आत्मबल सभी बलों में सबसे श्रेष्ठ बल होता है 

 

अज्ञान

॥अज्ञान कष्टप्रदायक होता है तथा

इसके कारण मनुष्य उपहास का पात्र बन जाता है

ignorance

Ignorance is painful and because of this
man

 becomes an object of ridicule.

 

अतिथि ॥अतिथि का महत्त्व क्षणिक विराम में ही निहित है

Guest

The importance of the guest lies in the
momentary pause.

 निस्संकोच या निर्लज्ज होकर एक ही स्थान पर निवास करते 

रहना अतिथि के लिए अशोभनीय है

It is indecent for a guest to stay in the
same place 

without hesitation or shamelessness.

 

अभ्यास

 ॥अभ्यास के बिना विद्वान् भी शास्त्र का यथोचित वर्णन नहीं कर पाता 

और लोगों के बीच उपहास का पात्र बन जाता है  

जो विद्वान् निरंतर अभ्यास नहीं करता , 

उसके लिए शास्त्र भी विष के समान हो जाते हैं 


मनुष्य का यह कर्तव्य है कि घर आए

अतिथि को योग्य आसन देकर आदरपूर्वक बैठाए , उसकी कुशलता पूछे 

और अपनी कुशलता बताए , फिर उसे यथोचित भोजन कराए

It is the duty of a human being to give a
suitable 

seat to the guest who comes home and sit respectfully, ask

 his skill
and tell his skill, then give him proper food.

 

अतिथि जिस घर का आतिथ्य स्वीकार नहीं करता

वहाँ भोजन ग्रहण नहीं करता , दानदक्षिणा लेता है

शास्त्रे ने उस गृहस्थ का जीवन व्यर्थ कहा है

The house where the guest does not accept
hospitality,

 does not take food, does not take donations and dakshina,

 Shastre
has called the life of that householder in vain.

 

दूरस्थ स्थान से आए अति थकेहारे पथिक तथा

आश्रय हेतु आए व्यक्ति ईश्वर के समान होते हैं

Very tired and lost wanderers who come from
distant places

 and those who come for shelter are like God.

 

जिसके क्रोध से कोई भयभीत  हो और जिसके 

प्रसन्न होने से भी किसी को कोई लाभ नहीं होता , 

ऐसे मनुष्य का आचरण किसी को प्रभावित नहीं कर सकता 


अति अत्यंत हानिकारक है

अति सुंदर होने के कारण ही रावण द्वारा सीता का हरण हुआ

अहंकार और गर्व की अति ही महाविद्वान् रावण की मृत्यु का कारण बनी  

दैत्यराज बलि की अति दानशीलता ने ही उसे सबकुछ गँवाकर पाताल जाने के लिए विवश कर दिया  

अतिभक्ति चोर का लक्षण है अति से सब जगह बचना चाहिए

अतिद्वारा मनुष्य काअंतनिश्चित है

Too much is harmful. Sita was abducted by
Ravana because of being very beautiful.

 Ego and pride became the cause of death
of the great scholar Ravana.

 The extreme charity of the demon king Bali forced
him to lose everything and go to Hades.

 Excessive devotion is a symptom of a
thief.

 Excessive should be avoided everywhere.

 The ‘end’ of man is certain
through ‘Ati’.

 

Behaviour

 Man’s conduct alone is enough to make people

 below before him. With this victory

 can also be achieved over enemies.


अन्न जैसा स्वादिष्ट और रुचिकर भोज्य पदार्थ कोई दूसरा नहीं है

There is no other tasty and delicious food
item like food

 

 

अभाव बीजों के अभाव या कमी के कारण फसल भरपूर नहीं होती  

सेनापति के अभाव में सेना युद्ध में विजयश्री कभी प्राप्त नहीं कर सकती


Due to lack or lack of seeds, the crop is
not bountiful. 

In the absence of the commander, the army can never get victory
in the war.

 

 अभ्यास

 ॥अभ्यास के बिना विद्वान् भी शास्त्र का यथोचित वर्णन नहीं कर पाता 

और लोगों के बीच उपहास का पात्र बन जाता है  

जो विद्वान् निरंतर अभ्यास नहीं करता

उसके लिए शास्त्र भी विष के समान हो जाते हैं


Practice

 Without practice, even the scholar is not able

 to describe the scripture properly and becomes 

the object of ridicule among the
people. 

For the scholar who does not practice continuously,

 even the scriptures
become like poison.

 

If it is possible to get nectar even from nectar poison,

 then it should be consumed without hesitation.

 


आलस्य और अनभ्यास विद्वानों की बुद्धि को भी भ्रष्ट 

करके उनके ज्ञान का नाश कर देता है  

केवल निरंतर अभ्यास द्वारा प्राप्त विद्या की रक्षा की जा सकती है

 

Laziness and unprincipledness corrupts the
intellect 

of scholars and destroys their knowledge

Only by continuous practice
can the knowledge acquired be preserved.

 

बूंदबूंद से घड़ा भर जाता है ,

बूंदबूंद के मिलने से नदी बन जाती है ,

पाईपाई जोड़ने पर व्यक्ति धनवान बन जाता है  

उसी प्रकार यदि निरंतर अभ्यास किया जाए तो 

मनुष्य के लिए कोई भी विद्या अप्राप्य नहीं रहती

 

Drop by drop fills the pitcher, drop by
drop makes a river,

 adding pie-pi makes a person rich. Similarly,

 if practice
is done continuously, 

then no knowledge remains unattainable to man.

 

अहंकार

मनुष्य को अपनी दानवीरता , तप , साहस , विज्ञान , विनम्रता 

और नीतिनिपुणता पर कभी अहंकार नहीं करना चाहिए


Ego

One should never be proud of his charity,
tenacity, 

courage, science, humility and ethics.

 

जो मनुष्य अहंकार में डूब जाता है

वह अतिशीघ्र पापों में लिप्त होकर नष्ट हो जाता है  

राजा और गुरु की निकटता से व्यक्ति अहंकारी होकर दोषयुक्त हो जाता है


A person who is immersed in ego,

 he is soon
destroyed by indulging in sins.

 Due to the proximity of the king and the guru, 

a person becomes arrogant and blamed.

 

आचरण

 मनुष्य का आचरण ही लोगों को अपने समक्ष नतमस्तक करने के लिए पर्याप्त है

इससे शत्रुओं पर भी विजय पाई जा सकती है


Behaviour

 Man’s conduct alone is enough to make people

 below before him. With this victory

 can also be achieved over enemies.

 

 गलत आचरण से सौंदर्य नष्ट हो जाता है

Beauty is destroyed by wrong conduct.

 

॥श्रेष्ठ

आचरण एवं श्रेष्ठ गुणों के कारण साधारण मनुष्य 

श्रेष्ठता के शिखर की ओर अग्रसर होता है

आत्मबल आत्मबल सभी बलों में सबसे श्रेष्ठ बल होता है


Best

Due
to conduct and superior qualities, 

the common man moves towards the pinnacle of
excellence. 
Self-power Self-confidence is the greatest 

thanks for  your.





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